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Chemistry
9th BSEB Bharti bhavan solution
Chapter
1
Matter
our surroundings.
लघु उत्तरीय
प्रश्न
1. उदाहरण के साथ 'पदार्थ' की
परिभाषा लिखें।
Ans
'पदार्थ' की परिभाषा: पदार्थ वह
सामग्री या तत्व होता है जिसका दृश्य और स्पर्श गुण होते हैं, जिसमें बनावट और घटना आती
है। पदार्थ सामान्यत: ठोस,
द्रव, गैस, तरल, अद्रव, वायुमंडल, आदि रूपों में पाया जा
सकता है।
उदाहरण: वायुमंडल और पानी
पदार्थों के उदाहरण हैं। वायुमंडल एक गैस होती है जिसका हम स्पर्श नहीं कर सकते
हैं, जबकि पानी तरल होता है और
हम इसको स्पर्श कर सकते हैं।
2. उदाहरण के साथ द्रव्य की परिभाषा लिखें।
Ans
द्रव्य की परिभाषा:
द्रव्य एक प्रकार की पदार्थ सामग्री होती है जो किसी भी प्राकृतिक या अप्राकृतिक
रूप में मानव द्वारा प्रयोग की जा सकती है और जिसका गुणाकार धनात्मक और भौतिक होता
है। द्रव्य वस्तुओं का वह पहलु है जो उनके रूप, आकार, रंग, गुण, और घटनाओं को परिभाषित
करता है जिससे हम उन्हें पहचान सकते हैं और उनका उपयोग कर सकते हैं।
उदाहरण: सोना, चांदी, पानी, ऊर्जा, पेन्सिल, प्लास्टिक, और तेल द्रव्यों के
उदाहरण हैं। सोना और चांदी मिनरल द्रव्य होते हैं जो धातु के रूप में प्राप्त होते
हैं, जबकि पेन्सिल, प्लास्टिक, और तेल संश्लेषित और
निर्मित द्रव्य होते हैं जिन्हें मानव उपयोग के लिए तैयार किया जाता है।
3. ठोस एवं द्रव में कोई तीन अंतर बताएँ।
Ans
ठोस और द्रव में कुछ
महत्वपूर्ण अंतर निम्नलिखित हैं:
1.
आकार और घनत्व:
·
ठोस: ठोस पदार्थों का आकार
स्थिर होता है, और उनका घनत्व अधिक होता है। यह अणुओं के घनत्व में कम अंतर होता है, और ठोस पदार्थों को हमसे
छूने में मुश्किल होता है।
·
द्रव: द्रव पदार्थों का आकार
बदलता रहता है, और इनका घनत्व कम होता है। इसके कारण वे आसानी से बह सकते हैं और उन्हें हमसे
छूने में कोई समस्या नहीं होती।
2.
रसायनिक संरचना:
·
ठोस: ठोस पदार्थों की रसायनिक
संरचना अणुओं और मोलेक्यूलों के पूर्ण और सख्त संरचना की जाती है। इनमें अणुओं के
सख्त स्थान पर ठोसता है,
जिससे उनका आकार और रूप स्थिर रहता है।
·
द्रव: द्रव पदार्थों की रसायनिक
संरचना अणुओं और मोलेक्यूलों के साथ कम जोड़ा जाता है, और इनमें अणुओं का स्थान
बदलता रहता है, जिससे उनका आकार और रूप परिवर्तन कर सकता है।
3.
बहाव:
·
ठोस: ठोस पदार्थ आमतौर पर बहने
वाले नहीं होते हैं,
यह अपने स्थान पर निष्क्रिय रहते हैं।
·
द्रव: द्रव पदार्थ बह सकते हैं
और यह अपने आकार में परिवर्तन कर सकते हैं, जिसके कारण वे बह सकते
हैं।
4. उर्ध्वपातन क्या है? किन्हीं
तीन द्रव्यों के नाम लिखें जो गर्म किए जाने पर उर्ध्वपातित हो जाते हैं
Ans
उर्ध्वपातन (Sublimation) एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें एक द्रव्य सीधे गैसी अवस्था में पारण बिना
ठोस दरमियानी शुक्र अवस्था में बिना जाए। इस प्रक्रिया में द्रव्य गर्म होता है और
उसकी अणुओं के आपसी बंधन तोड़कर गैस बन जाता है।
तीन द्रव्य जो
उर्ध्वपातित हो जाते हैं जब वे गर्म किए जाते हैं:
1.
कैम्फर (Camphor): कैम्फर एक प्रकार का ठोस
द्रव्य है जो गर्म किया जाने पर सीधे गैसी अवस्था में उर्ध्वपातित हो जाता है।
2.
नाफ्तलीन (Naphthalene): नाफ्तलीन भी एक ठोस
द्रव्य है जो गर्मी पर उर्ध्वपातित होता है और वायु में बदल जाता है। इसलिए यह
कीटों को दूर रखने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि मोथ बॉल्स के रूप
में।
3.
आमोनिया (Ammonia): आमोनिया एक गैस है जो ठोस
अम्मोनियम नाइट्रेट (Ammonium
Nitrate) को गर्म करने पर
उर्ध्वपातित हो सकता है।
5. द्रव के हिमांक से आप क्या समझते हैं ?
Ans
द्रव के हिमांक (Freezing Point) को हम उस तापमान के रूप में समझ सकते हैं जिस पर द्रव ठोस अवस्था में बदल जाता
है और पानी के लिए इस तापमान को 0°C (सेल्सियस डिग्री) के
बराबर माना जाता है। यह मानक मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान में उपयोग होता है, खासकर जब हम द्रव की
ठोसीकरण (जैसे कि बर्फ बनाना) या द्रव की स्थिरता की चर्चा करते हैं।
द्रव के हिमांक उस तापमान
पर घटता है जब द्रव की आंशिक जड़न होती है और उसके मोलेक्यूल एक स्थिर ठोस संरचना
में आकर अवस्थित होते हैं। इस प्रक्रिया में द्रव की उच्चतम मानक तापमान (उबलने का
तापमान) को पार करने पर मोलेक्यूल धीरे-धीरे आपस में जड़ जाते हैं और ठोस बन जाते
हैं।
इसी तरह, जब द्रव ठोस से द्रव्यमान
में परिवर्तित होता है,
तो उसका हिमांक उस तापमान पर होता है जब वह ठोस से द्रव्यमान में परिवर्तित
होता है।
6. द्रवण की गुप्त ऊष्मा क्या है ?
Ans
द्रवण की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporization) एक महत्वपूर्ण भौतिकीय प्राकृतिकीय पैरामीटर है जो द्रवण (जैसे कि पानी) को
गैस अवस्था में परिवर्तित करने के लिए कितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, जिसे गुप्त ऊष्मा कहा
जाता है।
जब हम किसी द्रवण को ठोस
से तरल में या गैस में परिवर्तित करते हैं, तो इस प्रक्रिया में ऊष्मा
अवश्यक होती है। यह ऊष्मा द्रवण के मोलेक्यूलों को उनकी स्थान से हटाने और उन्हें
गैसी अवस्था में परिवर्तित करने के लिए चाहिए, जिससे मोलेक्यूलों के बीच
के आकर्षण और आपसी बंधन को तोड़ना पड़ता है।
द्रवण की गुप्त ऊष्मा का
मात्रक जूल/किलोग्राम (Joule
per kilogram) में होता है, और यह विभिन्न द्रवणों के
लिए अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए, पानी की गुप्त ऊष्मा लगभग
2,260,000 J/kg है, यानि 1 किलोग्राम पानी को गैस
बनाने के लिए इसमें 2,260,000
जूल की ऊष्मा की आवश्यकता होती है।
गुप्त ऊष्मा का अद्यतन
अंशदान करना उद्योगों और विज्ञान में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ऊर्जा प्रबंधन
और ताप प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जैसे कि ऊर्जा संग्रहण और
वायुमंडल विज्ञान में।
7. वाष्पन की गुप्त ऊष्मा से आप क्या समझते हैं ?
Ans
वाष्पन की गुप्त ऊष्मा: वाष्पन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporization) एक पदार्थ की गैस अवस्था में परिवर्तन करने के लिए आवश्यक ऊष्मा होती है। यानी, जब किसी ठोस या तरल
पदार्थ को उसकी गैसी अवस्था में परिवर्तित किया जाता है, तो उस पदार्थ को ऊष्मा
प्राप्त करने के लिए वाष्पन की गुप्त ऊष्मा की आवश्यकता होती है। इस ऊष्मा की
मात्रक जूल/किलोग्राम (Joule
per kilogram) में होती है और पदार्थ के
प्रकार पर भिन्न हो सकती है।
8. आप कैसे सिद्ध करेंगे कि वाष्पन से ठंडक उत्पन्न
होती है?
Ans
वाष्पन से ठंडक का उत्पन्न होना: वाष्पन के दौरान ठोस या
तरल पदार्थ से ऊष्मा गुप्त ऊष्मा के रूप में उपयोग होती है, जिससे ठंडक का उत्पन्न
होता है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से ठंडे मौसम में अहम होती है। जब उच्च तापमान पर
पानी का बूढ़ा पदार्थ (जैसे कि आपकी टप्पड़ी की छत) पर पड़ता है, तो पानी की गर्मी सूखने
लगती है और यह पानी वाष्पित हो जाता है। इस प्रक्रिया में, वाष्पन की गुप्त ऊष्मा
बाहरी वातावरण को ऊष्मा के रूप में लिया जाता है, जिससे ठंडक का अनुभव होता
है। यही कारण है कि जब हम पसीना सुखाते हैं, तो हमारे शरीर को ठंडक का
अनुभव होता है, क्योंकि पसीना वाष्पित होता है और ऊष्मा बाहरी वातावरण में जाती है।
9. संघनन क्या है ? गैस
का संघनन कैसे किया जाता है?
Ans
संघनन (Condensation) एक फ़िज़िकल प्रक्रिया है जिसमें गैस में मौजूद होने वाले गैस पार्टिकल्स को
ठंडी के कारण इस प्रकार से जमा किया जाता है कि वे द्रव्यमान या ठोस अवस्था में
परिवर्तित हो जाते हैं। यह प्रक्रिया जब गैस में तापमान कम होता है, तो होती है, क्योंकि ठंडा होने पर गैस
के पार्टिकल्स की किनेटिक ऊर्जा कम होती है और वे एक साथ आकर्षित होने लगते हैं।
गैस का संघनन कैसे किया
जाता है:
- गैस को ठंडी करने के
लिए उसका तापमान कम किया जाता है।
- यदि गैस के अणु या
मोलेक्यूल ठंडे होते हैं तो वे आकारिक रूप में बदल सकते हैं।
- जब गैस के पार्टिकल्स
एक साथ जमा होने लगते हैं, तो उनकी किनेटिक ऊर्जा
कम हो जाती है, और वे द्रव्यमान रूप
में अवस्थित हो जाते हैं, जिसे हम संघनित गैस
कहते हैं।
10. वाष्पन और क्वथन में अंतर स्पष्ट करें।
Ans
वाष्पन (Evaporation) और क्वथन (Boiling) दो अलग-अलग प्रकार की
तापमान की प्रक्रियाएँ हैं, जो एक द्रव्य को गैसी
अवस्था में बदलने में मदद करती हैं। इनमें निम्नलिखित अंतर होते हैं:
1.
वाष्पन (Evaporation):
- वाष्पन उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें एक द्रव्य की
पार्टिकल्स गैस की अवस्था में बदलती हैं जब उन्हें उस द्रव्य की सतत सतह से
हटाया जाता है और उन्हें तापमान कम होते हुए बाहर जाने का मौका मिलता है।
- वाष्पन काम तापमान पर घटता है, लेकिन यह तापमान से निर्भर होता है, और यह सामान्यत: नमी की सतह, हवा की गति, और द्रव्य के स्वागत तापमान के आसपास होता है।
- उदाहरण: पानी का सुखाना, वस्त्रों का सुखाना, झीलों और नदियों का पानी का प्राकृतिक रूप से उपभोग।
2.
क्वथन (Boiling):
- क्वथन वह प्रक्रिया है जिसमें एक द्रव्य की पार्टिकल्स
गैस की अवस्था में बदलती हैं जब उसे उसके बॉयलिंग प्वाइंट से ऊपर की ओर गरम
किया जाता है।
- क्वथन तापमान पर पूरी तरह से निर्भर होता है और यह
द्रव्य के बॉयलिंग प्वाइंट पर होता है, जिसे यह बड़े तापमान पर होते हुए भी पाया जा सकता है।
- उदाहरण: पानी को गरम करके उसको उबालना, जिससे हाँ बनता है, या बर्फ को उबालकर चाय बनाना।
संक्षेप में, वाष्पन धीरे-धीरे होता है जबकि क्वथन तेजी से होता है और यह बॉयलिंग प्वाइंट
पर होता है। वाष्पन के लिए तापमान से निर्भरता होता है, जबकि क्वथन के लिए द्रव्य के बॉयलिंग प्वाइंट से ऊपर की ओर तापमान को पहुंचाना
आवश्यक होता है।
11. गैस के दाब से आप क्या समझते हैं ?
Ans
गैस के दाब (Pressure of a gas) का मतलब होता है कि गैस के मोलेक्यूल या अणु द्रव्य की एक
निश्चित क्षेत्र में प्रति इकाई क्षेत्र (जैसे कि सेंटीमीटर वर्ग या मीटर वर्ग) के
लिए कितने गैस के मोलेक्यूल या अणु होते हैं और वे कितनी तेजी से और कितनी आपस में
टकराते हैं। इसका माप आमतौर पर पास्कल (Pascal) या बार (Bar) में किया जाता है।
जब गैस के दाब की वृद्धि
होती है, तो गैस के मोलेक्यूल या अणु एक दिए गए क्षेत्र में अधिक मात्रा में होते हैं
और उनमें आपसी टक्करें बढ़ जाती हैं। इससे गैस के तथा उसके संरचनात्मक परिसंघटन के
गुण बदल सकते हैं।
गैस के दाब का प्रभाव कई
तथापि प्राकृतिक प्रक्रियाओं और औद्योगिक अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण होता है, जैसे कि:
- वायुमंडल में दाब के परिवर्तन से मौसम की परिवर्तन
होती है।
- इंजन और पंप जैसे उपकरणों में गैस के दाब का नियंत्रण
करना आवश्यक होता है।
- उच्च दाब वाले गैस के बोतलों में गैसों को संचित किया
जाता है, जो
इंडस्ट्रियों और घरों में उपयोग होते हैं।
गैस के दाब का अध्ययन
विज्ञान, औद्योगिक प्रक्रियाओं, मौसम विज्ञान, और औद्योगिक उपकरणों के डिज़ाइन में महत्वपूर्ण होता है।
12. ठोस पदार्थ की आकृति और आयतन निश्चित क्यों होते
हैं?
Ans
ठोस पदार्थ की आकृति (Shape) और आयतन (Volume) निश्चित होते हैं क्योंकि
ठोस पदार्थ के मोलेक्यूल और आयतन के बीच के इंटरमोलेक्यूलर फ़ोर्सेस (आपसी आकर्षण
और आपसी टक्कर) उनके आकृति और आयतन को स्थिर रखते हैं।
- आकृति (Shape): ठोस पदार्थ की आकृति उसके मोलेक्यूल और आयतन के आपसी
आकर्षण के परिणामस्वरूप निश्चित होती है। मोलेक्यूल और आयतन के बीच की इन
फ़ोर्सेस उन्हें उनकी आकृति को बदलने से रोकती हैं। उदाहरण के लिए, सोने की आकृति हमेशा त्रिकोणाकार की होती है क्योंकि
सोने के आणविक संरचना के बीच की इन फ़ोर्सेस उसकी आकृति को बदलने से रोकती
हैं।
- आयतन (Volume): आयतन ठोस पदार्थ की गति को निश्चित करता है। ठोस
पदार्थ के मोलेक्यूल और आयतन के बीच की आपसी आकर्षण उसके आयतन को बदलने से
रोकती हैं, इसके
परिणामस्वरूप ठोस पदार्थ का आयतन निश्चित रहता है।
13.
द्रव
का वाष्पन कैसे होता है?
द्रव का वाष्पन (Evaporation) एक प्रक्रिया है जिसमें द्रव की पार्टिकल्स ठंडे या
वायुमंडल के संपर्क में आकर गैसी अवस्था में बदल जाती हैं, बिना द्रव को बॉयलिंग प्वाइंट तक पहुंचाए। वाष्पन का प्रमुख कारण तापमान कम
होता है, जिससे द्रव के मोलेक्यूल तेजी से और अनियमित रूप से आपस में टकराते हैं और गैस
की अवस्था में बदलते हैं।
वाष्पन के लिए निम्नलिखित
तत्वों की आवश्यकता होती है:
- द्रव (जैसे कि पानी) की पार्टिकल्स ठंडे होते हों, जिससे वे तेजी से नहीं उच्चतम गति पर हों।
- तापमान कम होता है, जिससे द्रव की अणुओं की किनेटिक ऊर्जा कम होती है, और वे गैस की अवस्था में बदलने के लिए अधिक संघटित
होती हैं।
- द्रव की सतत सतह से पार्टिकल्स का प्रवेश होता है, जिससे वे सतह से हटकर गैस की अवस्था में जा सकते हैं।
वाष्पन कई प्रकार के
अद्भिन्न द्रवों के साथ हो सकता है, लेकिन सबसे आम उदाहरण है
पानी का सुखाना जब यह सूखता है और आपको अंबर में या अन्य ठंडे स्थान पर प्राप्त
होता है।
14. पदार्थ की प्लाज्मा अवस्था की क्या उपयोगिता है?
पदार्थ की प्लाज्मा
अवस्था की कई उपयोगिताएँ होती हैं, और प्लाज्मा विज्ञान कई
विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित कुछ उपयोगिताएँ हैं:
1.
प्लाज्मा उर्जा स्रोत: प्लाज्मा उर्जा के अद्वितीय गुणों के
कारण, यह एक प्रमुख उर्जा स्रोत बन सकता है। हम प्लाज्मा को उर्जा उत्पादन के लिए
तबादला कर सकते हैं, और इसे विभिन्न उद्योगों, जैसे कि न्यूक्लियर उर्जा, उच्च प्रतिगति वाली उर्जा
संयंत्रों, और औद्योगिक उपकरणों में
उपयोग करते हैं।
2.
प्लाज्मा प्रक्रियाएँ: प्लाज्मा विज्ञान का उपयोग कई उपयोगी
प्रक्रियाओं के लिए किया जाता है, जैसे कि प्लाज्मा संशोधन
(Plasma Etching) और प्लाज्मा कोटिंग (Plasma Coating)। ये प्रक्रियाएँ विभिन्न
संयंत्रों और उत्पादों के निर्माण में उपयोगी होती हैं, और विभिन्न प्रकार के सत्रों के उत्पादन में मदद करती हैं।
3.
स्टेलर और कस्मिक अध्ययन: प्लाज्मा अवस्था को अंतरिक्ष में, तारामंडलों में, और सूरज के पास की सूखा
में प्रमुख भूमिका निभाता है। यह वैज्ञानिकों को ग्रह, तारामंडल, और ब्रह्मांड की अध्ययन
करने में मदद करता है और सूरज की वर्तमान स्थिति की समझ में मदद करता है।
4.
विद्युत विज्ञान: प्लाज्मा के उपयोग से विभिन्न प्रकार की
विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाए जा सकते हैं, जैसे कि प्लाज्मा टेलीविज़न, और प्लाज्मा टॉर्चेस, जो कटाई और चटाई के काम में उपयोग होते हैं।
5.
औद्योगिक अप्लाइकेशन: प्लाज्मा अवस्था को औद्योगिक
प्रक्रियाओं में तबादला किया जाता है, जैसे कि जलवायु उपयोग (Air Conditioning) और जलवायु संयंत्रों में हृदय विद्युत (Heart-Lung Machines) के लिए वर्किंग गैस के निर्माण में।
इन उपयोगों के बारे में विशेषज्ञता
विकसित करने के साथ-साथ, प्लाज्मा विज्ञान समृद्धि
के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र भी है, जो नई तकनीकों और
उपायोगों का विकास कर सकता है।
15. निम्नलिखित के लिए कारण बताएँ
(i) गर्म पके हुए खाद्य पदार्थ की गंध का एहसास हमें
कुछ दूरी से ही हो जाता है, किंतु ठंडे खाद्य पदार्थ की गंध का एहसास हमें
उसके निकट जाने पर ही होता है। क्यों?
(ii) बिना कोई अवशेष छोड़े ही कपूर गायब हो जाता है।
क्यों ?
(iii) बरतन की दीवार पर गैस दाब आरोपित करता है। क्यों?
(iv) क्वथनांक पर द्रव का ताप स्थिर रहता है। क्यों?
(v) गर्मी के दिनों में हम सफेद वस्त्र पहनना पसंद
करते हैं। क्यों ?
Ans
(i) गर्म पके हुए खाद्य
पदार्थ की गंध का एहसास हमें कुछ दूरी से ही हो जाता है, किंतु ठंडे खाद्य पदार्थ
की गंध का एहसास हमें उसके निकट जाने पर ही होता है। क्यों?
इसका प्रमुख कारण वाष्पन
(evaporation) की प्रक्रिया है। गर्म पके हुए खाद्य पदार्थों से आरोमा मोलेक्यूल्स उड़कर आती
हैं और आपकी बूद्धि तक पहुँचती हैं, जिससे आप उनकी गंध का
एहसास करते हैं। ठंडे खाद्य पदार्थ बाहर की सुखदी गंध को कम करते हैं क्योंकि उनके
परिप्रेक्ष्य में वाष्पन नहीं होता और उनकी गंध के मोलेक्यूल्स आपके नाक तक बहुत
अधिक दूरी पर जाने में समय लगता है।
(ii) बिना कोई अवशेष छोड़े ही
कपूर गायब हो जाता है। क्यों?
इसका कारण सब्लीमेशन (sublimation) होता है। कपूर एक प्रकार का ठंडा तत्व होता है जो बिना द्रित के या पानी में
घुल कर तापमान बढ़ाए तुरंत अपनी ठंडी और गैसी अवस्था में परिवर्तित होता है, जिसके कारण यह बिना कोई
अवशेष छोड़े ही गैस की अवस्था में गायब हो जाता है।
(iii) बरतन की दीवार पर गैस दाब
आरोपित करता है। क्यों?
बरतन की दीवार पर गैस दाब
का कारण गैस के मोलेक्यूल्स की तेजी से आपसी टकराव है, जिससे वे दीवार की सतह पर
बल डालते हैं। यह बल प्रति इकाई क्षेत्र पर आपसी टकराव का परिणाम होता है और हम
इसे गैस के दाब के रूप में मापते हैं।
(iv) क्वथनांक पर द्रव का ताप
स्थिर रहता है। क्यों?
क्वथनांक (boiling point) एक द्रव का तापमान होता है जिस पर वह गैस में परिवर्तित होता है। इस तापमान पर, द्रव के मोलेक्यूल गैस की
अवस्था में बदलने लगते हैं और उनकी किनेटिक ऊर्जा तेजी से बढ़ती है, जिससे उनकी आवाज बड़ जाती
है और वे बड़े आपस में फूलते हैं। इसलिए, क्वथनांक पर द्रव का ताप स्थिर
रहता है, क्योंकि यह तापमान पर बदल
जाता है जब द्रव गैस में परिवर्तित होता है।
(v) गर्मी के दिनों में हम
सफेद वस्त्र पहनना पसंद करते हैं। क्यों?
गर्मी के दिनों में हम
सफेद वस्त्र पहनना पसंद करते हैं क्योंकि सफेद रंग अधिक दिखाई देता है और सूर्य की
ताप को अधिक नहीं आवश्यकता होती है, जिससे हमें ठंडा रहने में
मदद मिलती है। सफेद रंग सूर्य की रोशनी को अधिक प्रतिक्रियाशी बनाता है और उसका
अधिक हिस्सा रोशनी को प्रतिक्षेपित करता है, जिससे वस्त्र कम गरम होता
है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. ठोस, द्रव और गैस में अंतर स्पष्ट करें।
Ans
ठोस, द्रव, और गैस तीन प्रकार के प्राकृतिक पदार्थ (माद्य) होते हैं जिनमें आकार और
आवासीयता में मुख्य भिन्नताएँ होती हैं:
1. ठोस (Solid):
· ठोस पदार्थों की खासियत
होती है कि उनका आकार और आवासीयता निश्चित रूप से होती है।
· ठोस पदार्थ अपने आप में
पैक रहते हैं और उनके मॉलेक्यूल या अणु बहुत कठिनाई से हरकर नहीं बदलते हैं।
· ठोस पदार्थों के अणु एक
विशिष्ट स्थिति में निहित रहते हैं, और उनमें अधिकतर आपसी
आकर्षण क्रियाएँ होती हैं, जिसके कारण वे रखे जाते
हैं।
2. द्रव (Liquid):
· द्रव पदार्थों का आकार
तथा आवासीयता तबदील हो सकती है।
· द्रव पदार्थ अपने आप में
पूर्णत: फैले रहते हैं, लेकिन उनके मॉलेक्यूल या
अणु स्थिति बदल सकती है, जिसके कारण वे धाराओं की
तरह बह सकते हैं।
· द्रव पदार्थों के अणु के
बीच आपसी आकर्षण क्रियाएँ होती हैं, लेकिन यह आकर्षण कम होता
है जिसके कारण वे द्रवीय रूप में रहते हैं।
3. गैस (Gas):
· गैस पदार्थों का आकार और
आवासीयता बिल्कुल ही बदलता रहता है।
· गैस पदार्थों के
मॉलेक्यूल या अणु अकेले रहते हैं और उनके बीच केवल बिना संघटित हुए कई खाली स्थान
होते हैं।
· गैस पदार्थों के
मॉलेक्यूल या अणु के बीच आकर्षण क्रिया कम होती है या नहीं होती, और वे आवाज, दाब, और तापमान में बदलते रहते हैं।
इन तीनों प्रकार के
पदार्थों में आकार, आवासीयता, और अणु के बीच की आकर्षण क्रियाएँ विभिन्न होती हैं, जिससे उनके व्यवहार में मुख्य अंतर समझा जा सकता है।
2. गैस
के विशिष्ट गुणों का उल्लेख करें।
Ans
गैस के विशिष्ट गुणों का
उल्लेख करने के लिए, यहां कुछ मुख्य गुण हैं:
1. वायुमंडलीय दाब (Atmospheric Pressure):
· गैस वायुमंडलीय दाब के
प्रति संवेगी होता है, जिसे पास्कल (Pascal) में मापा जाता है।
· गैस का दाब आकर्षण और गैस
के मॉलेक्यूलों के संघटन के आधार पर बदलता रहता है।
2. गैस का घनत्व (Density of Gas):
· गैस का घनत्व अत्यंत कम
होता है जिसका परिमाण किलोग्राम प्रति मीटर क्यूब (kg/m³) में मापा जाता है।
· गैस के मॉलेक्यूल अकेले
अकेले फिरते रहते हैं, जिससे उनका घनत्व कम होता
है।
3. गैस का विस्तारन (Expansion of Gas):
· गैस तापमान के साथ
विस्तारन करता है और जब उसे गर्मी दी जाती है, तो यह विस्तार होता है।
· यह गुण गैस के प्रयोग में
बहुत महत्वपूर्ण होता है, जैसे गैस का विस्तारन
इंजन में उपयोग होता है।
4. गैस का अद्यतन योग्यता (Compressibility of Gas):
· गैस आसानी से दबाया जा
सकता है, और जब उसे दबाने के बाद छोड़ा जाता है, तो यह वापस विस्तार हो
जाता है।
· इस गुण के कारण गैस का
अद्यतन योग्यता कहा जाता है और इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे कि गैस सिलेंडरों में गैस को संचित करने के लिए।
5. गैस का अधिकतम ध्वनि गति
(Speed of Sound in Gas):
· गैस में ध्वनि की गति
उसके तापमान और घनत्व पर निर्भर करती है।
· गैस के अधिकतम ध्वनि गति
कुछ मीटर प्रति सेकंड (m/s) में होती है, और इसका महत्वपूर्ण उपयोग ध्वनि और उद्गारण अध्ययन में होता है।
6. गैस के विशिष्ट गुणरूप (Ideal Gas Law):
· गैस के विशिष्ट गुणरूप के
अनुसार, पूर्ण गैस के लिए विशिष्ट रूप से इसका नियमित ब्यावहार व्यक्त किया जा सकता
है। यह नियम पीवीँ = एनआरटी का नियम कहलाता है, जहां P दाब (Pressure), V आवाम (Volume), n मॉलेक्यूलों की संख्या, R गैस का विशिष्ट गैस
सिद्धांत, और T तापमान को प्रकट करता है।
ये गुण गैस के व्यवहार को
समझने में महत्वपूर्ण होते हैं और इनका अध्ययन विज्ञान और औद्योगिक उपयोगों में
किया जाता है।
3. क्या वायु को संपीडित किया जा सकता है? एक
कार्यकलाप के साथ वर्णन करें।
Ans
हाँ, वायु को संपीडित (compress) किया जा सकता है, और इसका उपयोग विभिन्न औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रयोगों में किया जाता है। एक
कार्यकलाप के साथ वायु को संपीडित करने के लिए विशिष्ट उपकरण जैसे कि कंप्रेसर (compressor) का उपयोग किया जाता है।
यहां एक साधारण कार्यकलाप
का वर्णन है, जिसमें वायु को संपीडित
किया जा रहा है:
कार्यकलाप: वायु कंप्रेसन
सामग्री:
1. वायु (गैस)
2. कंप्रेसर (Compressor)
3. संपीड़क (Receiver)
कार्यक्रम:
1. सबसे पहले, कंप्रेसर को चालने के लिए शुरू किया जाता है। कंप्रेसर एक प्रयोगशाला में
स्थापित होता है और वायु को अपने साथ खींचने और संपीडित करने के लिए डिज़ाइन किया
गया होता है।
2. कंप्रेसर शुरू होने पर, यह वायु को खींचने और एक निश्चित संवेग पर पहुंचाने के लिए आरंभिक दाब उत्पन्न
करता है।
3. जब वायु कंप्रेस होता है, तो उसे कंप्रेसर के संपीड़क में भेज दिया जाता है। संपीड़क एक धातुग्रंथि की
तरह काम करता है और संवेगित वायु को यहाँ संचित करता है।
4. वायु को संपीड़क में रखने
के बाद, इसे उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है। संपीड़क से वायु को आवश्यक
स्थान पर पहुंचाने के लिए आवश्यक उपकरण और नेटवर्क का उपयोग किया जा सकता है।
इस तरह का कार्यकलाप वायु
को अधिक दाब (pressure) में परिवर्तित करने के
लिए किया जा सकता है, जिससे वायु का घनत्व
बढ़ता है और यह विभिन्न उद्योगों और प्रक्रियाओं में उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि विभिन्न प्रकार के मशीनरी, वायुयान इंजन, और अन्य उपकरणों के लिए शक्ति प्रणाली के रूप में।
4. 'वाष्पन' और 'क्वथन' की व्याख्या करें। इनमें मुख्य अंतर क्या हैं?
Ans
'वाष्पन' और 'क्वथन' दो प्रक्रियाएँ हैं जो
द्रवों (liquids) और वायु (gases) के स्थितिकरण को विभिन्न तरीकों से बदलती हैं और इनमें मुख्य अंतर यह है कि
वाष्पन वायु में होता है,
जबकि क्वथन द्रव में होता है।
1. वाष्पन (Vaporization):
·
वाष्पन एक प्रक्रिया है
जिसमें द्रव (liquids) गैस (gases) में परिवर्तित होता है।
·
जब द्रव का तापमान उसके
बॉयलिंग प्वाइंट से ऊपर बढ़ जाता है, तो यह उसके द्रवीय स्थिति
से गैसी स्थिति में परिवर्तित होता है।
·
वाष्पन में द्रव के
मॉलेक्यूल या अणु एक दूसरे से दूर होते हैं और तापमान के साथ उच्चतर ऊर्जा स्तर पर
होते हैं।
2. क्वथन (Boiling):
·
क्वथन भी एक प्रक्रिया है
जिसमें द्रव (liquids) गैस (gases) में परिवर्तित होता है,
लेकिन यह विशिष्ट तापमान पर होता है, जिसे बॉयलिंग प्वाइंट कहा
जाता है।
·
क्वथन में, द्रव का तापमान बॉयलिंग
प्वाइंट को पार करता है और द्रव की पूरी मात्रा में गैस बन जाता है।
·
क्वथन के दौरान, बॉयलिंग पॉइंट पर द्रव की
सतह पर बुलबुले बनते हैं जो गैस के रूप में बाहर निकलते हैं।
मुख्य अंतर यह है कि
वाष्पन के दौरान,
द्रव की सतह पर सिर्फ हल्का-सा इंद्रधनुष्य बनता है (जैसे कि विंडो पर पानी के
बूंदें), जबकि क्वथन के दौरान, बॉयलिंग पॉइंट पर बुलबुले
बनते हैं और बड़े होते हैं।
इसके अलावा, वाष्पन आमतौर पर तापमान
के साथ निरंतर घटता है,
जबकि क्वथन बॉयलिंग पॉइंट पर ही होता है और वहाँ तापमान को बढ़ाने से होता है।
5. वाष्पन को प्रभावित करनेवाले कारणों का उल्लेख
करें ।
Ans
वाष्पन को प्रभावित
करनेवाले कारणों के कई प्रमुख कारक हो सकते हैं. ये कारक द्रव के तापमान और दबाव
को प्रभावित करते हैं, और वाष्पन प्रक्रिया को
प्रारंभ करते हैं. निम्नलिखित कुछ प्रमुख कारक हैं:
1. तापमान (Temperature): तापमान वाष्पन प्रक्रिया
पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। जब द्रव का तापमान उसके बॉयलिंग प्वाइंट से ऊपर
बढ़ता है, तो वाष्पन शुरू होता है। उच्च तापमान पर, मॉलेक्यूल्स ज्यादा गति
से घुस जाते हैं और द्रव गैस में परिवर्तित होता है.
2. दबाव (Pressure): दबाव भी वाष्पन प्रक्रिया
पर प्रभाव डालता है। दबाव कम होने पर, वाष्पन तापमान पर बढ़ता
है और द्रव आसानी से बन जाता है। उच्च दबाव के बावजूद, द्रव को तापमान को बढ़ाने के बिना भी वाष्पित किया जा सकता है (इसे उच्च दबाव
वाष्पन कहते हैं).
3. पानी का प्रकार: वाष्पन की दृष्टि से द्रव के प्रकार भी महत्वपूर्ण होता है। पानी जैसे द्रव का
वाष्पन बॉयलिंग पॉइंट पर होता है, जबकि अन्य द्रव अपने
बॉयलिंग पॉइंट पर वाष्पित होते हैं.
4. पानी की मात्रा: द्रव की मात्रा (यानि उपलब्ध मात्रा) भी वाष्पन प्रक्रिया पर प्रभाव डालती है।
जब आप द्रव की अधिक मात्रा को गर्म करते हैं, तो वाष्पन की दिशा में
अधिक प्रावृत्ति होती है.
5. सतह क्षमता (Surface Tension): सतह क्षमता भी वाष्पन
प्रक्रिया पर प्रभाव डाल सकती है, क्योंकि यह द्रव की सतह
पर बॉयलिंग पॉइंट पर पानी के बूँदों को विकसित कर सकती है, जिससे वाष्पन की गति कम हो सकती है।
इन कारकों के साथ-साथ, आपके पास वाष्पन प्रक्रिया को बढ़ावा देने वाले उद्योगिक और प्रयोगशाला उपकरण
भी होते हैं, जैसे कि उच्च तापमान और
दबाव उपकरण।
6. एक कार्यकलाप का वर्णन करके बताएँ कि द्रव के
वाष्पन से ठंडक उत्पन्न होती है।
Ans
द्रव के वाष्पन से ठंडक
उत्पन्न करने के लिए एक साधारण कार्यकलाप वर्णित किया जा सकता है, जिसमें पानी के वाष्पन की प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया को एवैपोरेशन भी
कहा जाता है, और यह जब तापमान और दबाव
की कमी के कारण होता है, तो ठंडक का आनंद लिया जा
सकता है।
कार्यकलाप: पानी के
वाष्पन से ठंडक का उत्पन्न होना
सामग्री:
1. पानी (Water)
2. गर्माई (Heat Source)
3. पानी की वस्तुक (Container)
कार्यक्रम:
1. सबसे पहले, पानी को एक पानी की वस्तुक में डाला जाता है।
2. अब, एक गर्माई (heat source) का उपयोग करके पानी की
वस्तुक को गर्म किया जाता है। गर्माई से पानी का तापमान बढ़ता है.
3. जब पानी का तापमान
बॉयलिंग पॉइंट (boiling point) तक पहुंचता है (100 डिग्री सेल्सियस पर सीलिंग पॉइंट के लिए), तो पानी के मोलेक्यूल गैस की रूप में परिवर्तित होते हैं।
4. जब पानी के मोलेक्यूल गैस
की रूप में परिवर्तित होते हैं, तो इस प्रक्रिया के दौरान
ऊर्जा का बहुत सा हिस्सा बर्बाद होता है, जिससे ठंडक उत्पन्न होती
है।
5. अब, जब आप पानी की वस्तुक के पास हाथ या किसी अन्य वस्तु को रखते हैं, तो आपका त्वचा वाष्पित पानी के सम्पर्क में आने के कारण ठंडक का अहसास करता
है। यह ठंडक आपके शरीर को आरामदायक लगती है।
इस तरीके से, पानी के वाष्पन की प्रक्रिया तापमान बढ़ाकर और दबाव कम करके ठंडक उत्पन्न करती
है, और यह एक सामान्य तरीका है जिसे लोग ठंडक प्राप्त करने के लिए उपयोग करते हैं, जैसे कि गर्म जल का इस्तेमाल करके वाष्पन से गर्म पानी को ठंडा करना।
7. किसी कार्यकलाप का वर्णन करके बताएँ कि काली
वस्तु सफेद वस्तु की तुलना में ऊष्मा का अवशोषण अधिक करती हैं।
Ans
काली वस्तु (ब्लैक बॉडी)
और सफेद वस्तु (व्हाइट बॉडी) की तुलना में ऊष्मा का अवशोषण अधिक करने के एक प्रमुख
कार्यकलाप का वर्णन निम्नलिखित है:
कार्यकलाप: काली वस्तु
सफेद वस्तु की तुलना में ऊष्मा का अवशोषण
सामग्री:
1. काली वस्तु (Black Body)
2. सफेद वस्तु (White Body)
3. ऊष्मा स्रोत (Heat Source)
4. ऊष्मा संवेदक (Thermal Detector)
कार्यक्रम:
1. पहले, काली वस्तु और सफेद वस्तु को एक साथ रखा जाता है और एक समान तापमान पर रखा
जाता है।
2. अब, ऊष्मा स्रोत का उपयोग करके दोनों वस्तुओं को गर्म किया जाता है। ऊष्मा स्रोत
से उन्हें बहुत ऊष्मा (ताप) प्राप्त होती है.
3. ऊष्मा संवेदक का उपयोग
करके ऊष्मा के अवशोषण की मात्रा को मापा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि
काली वस्तु ऊष्मा को अधिक अच्छी तरह से अवशोषित करती है और सफेद वस्तु से अधिक
ऊष्मा प्राप्त करती है.
4. तुलना करने के बाद, पाया जाता है कि काली वस्तु ने सफेद वस्तु की तुलना में अधिक ऊष्मा को अवशोषित
किया है। यह इसलिए होता है क्योंकि काली वस्तु बेहतर तरीके से ऊष्मा को अवशोषित
करती है और सफेद वस्तु से अधिक तापमान पर बनी होती है, जिससे उसकी ऊष्मा संवेदक ज्यादा तापमान पर होता है।
इस प्रक्रिया को समझने से
हम देख सकते हैं कि काली वस्तु बेहतर तरीके से ऊष्मा को अवशोषित करती है, जिससे वह सफेद वस्तु की तुलना में अधिक ऊष्मा को अवशोषित करती है और इस प्रकार
सफेद वस्तु से अधिक गर्म होती है।
8. पदार्थ की प्लाज्मा अवस्था पर एक संक्षिप्त टिप्पणी
लिखें।
Ans
पदार्थ की प्लाज्मा
अवस्था एक अत्यंत उच्च ऊष्मा और ऊष्मा की बड़ी मात्रा के तापमान पर उत्तेजना
अवस्था है, जिसमें पदार्थ के अणु या मोलेक्यूल गैस की तरह आपस में मुकाबला करते हैं। इस
अवस्था में पदार्थ के अणु ध्वनित होते हैं और इलेक्ट्रॉन अणु को उत्तेजित किया
जाता है, जिससे एक सूपर-ऊष्मा गैस
बनता है जिसमें पॉजिटिव और नेगेटिव आयन अविभाज्य रूप से होते हैं।
प्लाज्मा अवस्था का
उदाहरण सूर्य की तापमानमा मिलता है, जहां पदार्थ के अणु बहुत
उच्च तापमान पर ऊष्मित होते हैं और इलेक्ट्रॉन प्रकारी और गैसी रूप में होते हैं।
प्लाज्मा अवस्था विभिन्न तरह के धूपों, तारकीय आदिमों, और प्रक्षिप्त लक्ष्यों
में पाया जा सकता है और यह वैज्ञानिक अध्ययनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेष रूप से तापमान और
दबाव की अनियमित जगहों पर।
प्लाज्मा अवस्था विभिन्न
प्रकार के ऊर्जा प्राप्त करने और उपयोग करने के लिए बहुत सारे अद्वितीय गुणों के
साथ आता है, जैसे कि न्यूक्लियर ऊर्जा उत्पन्न करने और प्रकाश की उत्तराधिकारी ऊर्जा
उत्पन्न करने की क्षमता। इसलिए, प्लाज्मा अवस्था का
अध्ययन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण है और यह सूर्य, तारकीय आदिमों, और विभिन्न प्रकार के
प्रक्षिप्त ऊर्जा स्रोतों के लिए ज्यादा समझने में मदद कर सकता है।
9. निम्नलिखित के लिए कारण बताएँ
(i) बर्फ के टुकड़े को स्पर्श करने पर ठंडक की अनुभूति
होती है।
(i) बर्फ के
टुकड़े को स्पर्श करने पर ठंडक की अनुभूति होती है: बर्फ के टुकड़े को स्पर्श करने पर ठंडक की अनुभूति होती है
क्योंकि बर्फ एक अच्छी ताप अवशोषक होती है। जब हम बर्फ को छूते हैं, तो हमारे हाथ की ऊष्मा बर्फ में अवशोषित होती है, जिससे हमारे हाथों की तापमान कम हो जाता है। यह तापमान कमी
हमें ठंडक की अनुभूति कराती है।
(ii)
मिट्टी के घड़ा (या सुराही) में रखा हुआ जल ठंडा
हो जाता है।
(ii) मिट्टी के घड़ा (या सुराही) में रखा हुआ जल ठंडा हो जाता
है: मिट्टी के
घड़े (या सुराही) में रखा हुआ जल ठंडा हो जाता है क्योंकि मिट्टी एक अच्छा ताप
अवशोषक होता है और यह तापमान को नियंत्रित रखता है। जब हम पानी को मिट्टी के घड़े
में डालते हैं, तो मिट्टी पानी की ऊष्मा को
अवशोषित करती है और पानी को ठंडा बनाती है। इसलिए, जब हम मिट्टी के घड़े में रखा हुआ जल पीते हैं, तो हमें ठंडक की अनुभूति होती है क्योंकि पानी कम तापमान पर
होता है।
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