Thursday, March 23, 2023

अध्याय-2: मात्रक और मापन(class 11th )

 

अध्याय-2: मात्रक और मापन

मात्रक और मापन

वह प्रक्रिया जिसमें हम यह ज्ञात करते हैं कि कोई दी हुई राशि किसी मानक राशि का कितने गुना है इस प्रक्रिया को मापन कहते हैं। एवं मानक राशि को उस मापन का मात्रक कहते हैं।
जैसे- लंबाई एक मापन है जिसका मात्रक मीटर होता है अर्थात् लंबाई को मीटर में मापा जाता है।

मापन संबंधी कुछ परिभाषाएं

1. मानक लंबाई

इसकी परिभाषा ऐसे दी जा सकती है कि ” एक मानक मीटर वह लंबाई है जो फ्रांस देश की राजधानी पेरिस में रखी हुई प्लेटिनम-इरीडियम (मात्रा 90% प्लैटिनम तथा 10% इरीडियम) मिश्रधातु की छड़ पर बने दो चिन्हों के बीच की दूरी है जबकि छड़ का ताप सेंटीग्रेड है। “

2. मानक द्रव्यमान

वह द्रव्यमान जो पेरिस में रखी हुई प्लेटिनम-इरीडियम (90%, 10%) मिश्रधातु के एक विशेष भाग (टुकड़े) को एक किलोग्राम मापा गया है आईएस प्रणाली में द्रव्यमान का मात्रक ‘किलोग्राम’ माना गया है।
आई०एस० प्रणाली में द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम होता है परमाणवीय स्केल पर 1 किलोग्राम, कार्बन-12 (6C12) के 5.0188 × 1025 परमाणुओं के द्रव्यमान के बराबर होता है।

3. मानक सेकंड

1 सेकंड बहुत समय अंतराल है जिसमें परमाणु घड़ी में सीजियम-133 (55Cs135) परमाणु 9,192,631,770 बार कंपन करता है।

मात्रक और मापन महत्वपूर्ण बिंदु

कार्य का मात्रक जूल के अतिरिक्त न्यूटन-मीटर भी होता है।
जूल का मान मूल मात्रकों के पदों में किग्रा-मीटर2/सेकंड2 होता है।
एक माइक्रोन में 10-6 मीटर होते हैं।
एक एंग्सट्राॅम में 1010 मीटर होते हैं।
एंपियर विद्युत धारा का एस० आई० मात्रक होता है।
एस० आई० पद्धति में मूल मात्रकों की संख्या सात होती है।
त्वरण का एस० आई० मात्रक मीटर/सेकंड2 होता है।
बल एक सदिश राशि है जबकि कार्य एक अदिश राशि है।
विस्थापन एक सदिश राशि है जबकि दूरी एक अदिश राशि है।

आवृत्ति की इकाई हर्ट्ज होती है।
लेंस की क्षमता का मात्रक डाइऑप्टर होता है।

मापन

किसी भौतिक राशि की माप ज्ञात करने के लिए उस भौतिक राशि के एक निश्चित परिमाण (हिस्से) को मानक मान लेते हैं। तथा इस मानक को व्यक्त करने के लिए एक नाम दे देते हैं जिसे मात्रक कहते हैं। तथा इस पूरी प्रक्रिया को मापन कहते हैं।
उदाहरण – मान लिजिए आपके पास एक बड़ा सा पत्थर है, और आपको उसका भार ज्ञात करना है तो आप कैसे करेंगे। पत्थर के एक छोटे से टुकड़े को मानक मान लेंगे और उस छोटे से टुकड़े को एक नाम दे देंगे जैसे 100 ग्राम। तो अब इस टुकड़े से पूरे पत्थर का भार हम ज्ञात कर सकते हैं।

किसी दी गई भौतिक राशि को उसके मात्रक से तुलना करने को ही मापन कहते हैं।“

मूल राशियां एवं मूल मात्रक

कुछ भौतिक राशियां स्वतंत्र होती हैं इनको किसी दूसरी राशि के पदों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, ऐसी राशियों को मूल राशियां कहते हैं एवं इन मूल राशियों के मात्रक को मूल मात्रक कहते हैं।”

अन्य राशियों जैसे – क्षेत्रफल, वेग, चाल, घनत्व, बल, कार्य आदि मूल राशियों की सहायता से ही व्यक्त की जाती हैं।

यांत्रिकी में लंबाई, समय और द्रव्यमान यह तीन ऐसी राशियां हैं जिनसे यांत्रिकी संबंधित सभी भौतिक राशियों को व्यक्त किया जा सकता है।

विभिन्न भौतिक राशियों को देखने से ऐसा लगता है कि इन सभी राशियों को मापने के लिए इतनी ही मात्रकों की जरूरत होगी। परंतु मापन की जाने वाली राशियों की संख्या काफी अधिक है इस कारण इनके मात्रकों की संख्या भी बहुत अधिक हो जाएगी जिसे याद करना भी असंभव हो जाएगा।

हम यह तो जानते ही हैं कि अनेक राशियां परस्पर एक दूसरे से संबंधित हैं।

जैसे – (1) चाल, दूरी तथा समय से संबंधित है। तो इसकी मापन के लिए हमें नए मात्रक की जरूरत नहीं होगी, इसे दूरी (मीटर) तथा समय (सेकंड) के पदो में ही व्यक्त किया जा सकता है।

चाल = दूरी/समय

या    चाल = मीटर/सेकंड

(2) घनत्व को भी द्रव्यमान एवं लंबाई के पदों में माप सकते हैं इसके लिए भी नए मात्रक की आवश्यकता नहीं होती है।

भौतिकी में सात मूल राशियां हैं –
(1) लंबाई
(2) द्रव्यमान
(3) समय
(4) विद्युत धारा
(5) ताप
(6) ज्योति तीव्रता
(7) पदार्थ की मात्रा

मापन की पद्धति

1. C.G.S. पद्धति — सेंटीमीटर-ग्राम-सेकंड

इस पद्धति में लंबाई को सेंटीमीटर में द्रव्यमान को ग्राम में एवं समय को सेकंड में व्यक्त किया जाता है।

जैसे – चाल का C.G.S. पद्धति में मात्रक सेमी/सेकंड होता है।

2. M.K.S. पद्धति — मीटर-किलोग्राम-सेकंड

इस पद्धति में लंबाई को मीटर में द्रव्यमान को किलोग्राम में एवं समय को सेकंड में व्यक्त किया जाता है।

जैसे – चाल का M.K.S. पद्धति में मात्रक मीटर/सेकंड होता है।

3. F.P.S. पद्धति — फुट-पौण्ड-सेकंड

इस पद्धति में लंबाई को फुट में द्रव्यमान को पौण्ड में एवं समय को सेकंड में व्यक्त किया जाता है। यह ब्रिटिश प्रणाली से भी जानी जाती है।

S.I. पद्धति — इंटरनेशनल सिस्टम

यह मापन की पद्धति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य है यह पद्धति सन 1967 के नापतोल के महासम्मेलन के बाद प्रकाश में आई, तब से ही यह पद्धति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य हो गई। इस पद्धति में सात मूल मात्रक एवं दो पूरक मात्रकों को शामिल किया गया है।

मूल राशियां एवं उनके भौतिक मात्रक और संकेत

क्रम संख्या

मूल राशियां

भौतिक मात्रक

संकेत (प्रतीक)

1

लंबाई

मीटर

m

2

द्रव्यमान

किलोग्राम

kg

3

समय

सेकंड

s

4

विद्युत धारा

एंपियर

A

5

ताप

केल्विन

T

6

पदार्थ की मात्रा

मोल

mol

7

ज्योति तीव्रता

कैंडेला

cd


पूरक राशियां एवं उनके भौतिक मात्रक और संकेत

क्रम संख्या

पूरक राशियां

मात्रक

संकेत (प्रतीक)

1

कोण

रेडियन

rad

2

घनकोण

स्टेडियम

sr


व्युत्पन्न राशियां

वह सभी भौतिक राशियां जिनको मूल राशियों की सहायता से उत्पन्न किया जाता है उन राशियों को व्युत्पन्न राशियां कहते हैं। एवं इनके मात्रक व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं।
जैसे – ‘चाल’ यह एक व्युत्पन्न राशि है चूंकि इसको मूल राशि लंबाई और सेकंड की सहायता से उत्पन्न किया जाता है। इसका मात्रक मीटर/सेकंड भी व्युत्पन्न मात्रक है।

त्रुटि

किसी भी भौतिक राशि की माप पूर्णतया शुद्ध नहीं होती है। भौतिक राशि की वास्तविक माप तथा किसी यंत्र द्वारा मापी गई माप में जो अंतर पाया जाता है उसे ही त्रुटि कहते हैं। त्रुटि सदैव प्रतिशत में व्यक्त की जाती है।

त्रुटि के प्रकार
सामान्य रूप से त्रुटि दो प्रकार की होती है।
(i) क्रमबद्ध त्रुटि (systematic error)
(i) यादृच्छिक त्रुटि (random error)

1. क्रमबद्ध त्रुटि

वे त्रुटि जो किसी एक दिशा, धनात्मक या ऋणात्मक में प्रवृत्त होती रहती हैं। क्रमबद्ध त्रुटि कहलाती हैं। यह त्रुटियां किसी प्रयोग में नियमित रूप से प्राप्त होती हैं।
जैसे – वर्नियर कैलिपर्स की शून्यांक त्रुटि।

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